सामान्य जानकारी

परिचय

सामान्यतया, लोकसभा की बैठक का पहला घंटा प्रश्‍नों के लिए होता है और उसे प्रश्‍नकाल कहा जाता है। इसका संसद की कार्यवाही में विशेष महत्व है। प्रश्‍न पूछना सदस्यों का जन्मजात और उन्मुक्त संसदीय अधिकार है। प्रश्‍नकाल के दौरान सदस्य प्रशासन और सरकार के कार्यकलापों के प्रत्येक पहलू पर प्रश्‍न पूछ सकते हैं। चूंकि सदस्य प्रश्‍नकाल के दौरान प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं इसलिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्यों संबंधी सरकारी नीतियों पर पूरा ध्यान केन्द्रित होता है। प्रश्‍नकाल के दौरान सरकार को कसौटी पर परखा जाता है और प्रत्येक मंत्री, जिसकी प्रश्‍नों का उत्तर देने की बारी होती है, को खड़े होकर अपने अथवा अपने प्रशासनिक कृत्यों में भूल चूक के संबंध में उत्तर देना होता है। प्रश्‍नकाल

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प्रश्‍नों के प्रकार


वह होता है जिसका सदस्य सभा में मंत्री से मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है। ऐसे प्रश्न के उत्तर के पश्चात् सदस्यों द्वारा उस पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

यह काम किस प्रकार करता है

तारांकित और अतारांकित प्रश्न
एक. किसी संसद सदस्य को प्रश्न के लिए न्यूनतम 15 दिन की सूचना देनी होती है। सदस्य आमंत्रण भेजे जाने के अगले दिन से प्रश्नों की सूचनाएं दे सकते हैं। "तथापि अध्यक्ष महोदय सदस्यों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक न्यूनतम 15 दिनों की सूचना अवधि में छूट दे सकते हैं।" दो. प्रश्नों की सूचना संसदीय सूचना कार्यालय में उपलब्ध निर्धारित प्रपत्र में लोक सभा महासचित को संबोधित की जानी चाहिए। प्रश्न की सूचना में विषय वस्तु के अतिरिक्त जिस मंत्री को प्रश्न संबोधित है, उसका पदनाम और प्रश्न को जिस तिथि को उत्तर के लिए प्रश्न सूची में रखवाने का विचार है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। सदस्य द्वारा उसी दिन के लिए प्रश्नों की एक से अधिक सूचनाएं देने पर उन पर वरीयता क्रम भी उल्लेख किया जाना चाहिए। तीन. सदस्

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प्रश्नों की ग्राह्यता

प्रश्नों की ग्राह्यता को शासित करने वाली शर्तें लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 41 से 44 में दी गई हैं। इन उपबधों के अलावा प्रश्न की ग्राह्यता, अध्यक्ष लोक सभा के निदेशों के निदेश 10क, पूर्व उदाहरण, अध्यक्ष, के निर्णय व टिप्पणियों, सुस्थापित संसदीय पद्धतियों, प्रचलन तथा रूढियों के अनुसार भी निर्धारित की जाती है। सांविधिक निगमों तथा लिमिटेड कंपनियों से संबंधित प्रश्न, जिनमें सरकार का वित्तीय अथवा नियंत्रणकारी हित हैं को उनकी गुणवत्ता के आधार पर जाँचा जाता है तथा उनकी ग्राह्यता सामान्यता निम्नलिखित तरीके से नियमित की जाती है: (एक) जहाँ प्रश्न नीतिगत के मामले से संबंधित हो या अधिनियम का सन्दर्भ किया गया हो, अथवा मंत्री द्वारा चूक के कृत्य से संबंधित हो अथवा इसमें लोकहित का माम

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प्रक्रिया


प्रश्न की सूचना प्राप्त होने पर इसकी इस बाबत जाँच की जाती है कि क्या मंत्री का पदनाम और उत्तर देने की तिथि का सूचना में ठीक ढंग से उल्लेख किया गया है अथवा नहीं। तत्पश्चात् इस सचिवालय में एक साथ प्राप्त सूचनाओं के संबंध में उनकी परस्पर प्राथमिकता निर्धारित करने हेतु बैलेट किया जाता है। तारांकित और अतारांकित प्रश्नों हेतु अलग-अलग बैलेट किया जाता है। तारांकित, अतारांकित और अल्प सूचना प्रश्नों को अलग-अलग संख्या दी जाती है और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में उनकी अलग-अलग डायरी में प्रविष्टि की जाती है। अगले चरण में प्रश्न की जांच करनी होती है कि क्या यह नियमों और पूर्वोदाहरणों के अन्तगत ग्राह्य है अथवा नहीं। प्रश्न मुख्यतः लोक महत्व के किसी मामले के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से पूछा जाता है।

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प्रश्नों हेतु दिनों का नियतन

लोक सभा के सत्र की बैठकों के लिए तिथियों का निर्धारण करने के तुंत बाद, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उपलब्ध दिनों का नियतन किया जाता है। इस प्रयोजनार्थ विभिन्न मंत्रालयों को क,ख,ग,घ और ङ पाँच समूहों में विभाजित किया जाता है और प्रश्नों के उत्तर देने के लिए मंत्रालयों के विभिन्न समूहों को क्रमशः सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, तथा शुक्रवार के निर्धारित दिन नियत किए जाते है। यदि शनिवार के लिए बैठक निर्धारित की जाती है तो उस दिन प्रश्न काल नहीं होता है। साथ ही, जिस दिन भारत के राष्ट्रपति दोनों सभाओं की एक साथ समवेत बैठक को संबोधित करते हैं, उस दिन, अथवा यदि सत्रावधि का विस्तार बैठकों के लिए निर्धारित कार्यक्रम से अधिक समय तक के लिए किया जाता है, उस स्थि

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