विधान सभा के सदस्यों के लिए पहला प्रबोधन कार्यक्रम 1981 में अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के माननीय सदस्यों के लिए आयोजित किया गया था जिसका उद्घाटन तत्कालीन माननीय लोक सभा अध्यक्ष डॉ बलराम जाखड़ ने किया था। यह कार्यक्रम अपनी तरह का ऐसा पहला कार्यक्रम था जिसने माननीय सदस्यों को संसदीय पद्धतियों और प्रक्रियाओं से जुड़े हाल के घटनाक्रमों के बारे में केंद्रीय मंत्रियों, माननीय संसद सदस्यों, संसद सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नव-निर्वाचित माननीय सदस्यों को संसद के कामकाज से परिचित कराना और सर्वोच्च प्रातिनिधिक संस्था के रूप में और संसद की संवैधानिक भूमिका इसकी स्थिति के बारे में जानकारी देना है। कार्यक्रम में माननीय सदस्यों को परिचालन तंत्र, संसदीय परंपराओं, प्रथाओं और शिष्टाचार से परिचित कराने पर भी जोर दिया गया है।
और पढ़ेंविधान सभा के सदस्यों के लिए पहला प्रबोधन कार्यक्रम 1981 में अरुणाचल प्रदेश विधान सभा के माननीय सदस्यों के लिए आयोजित किया गया था जिसका उद्घाटन तत्कालीन माननीय लोक सभा अध्यक्ष डॉ बलराम जाखड़ ने किया था। यह कार्यक्रम अपनी तरह का ऐसा पहला कार्यक्रम था जिसने माननीय सदस्यों को संसदीय पद्धतियों और प्रक्रियाओं से जुड़े हाल के घटनाक्रमों के बारे में केंद्रीय मंत्रियों, माननीय संसद सदस्यों, संसद सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नव-निर्वाचित माननीय सदस्यों को संसद के कामकाज से परिचित कराना और सर्वोच्च प्रातिनिधिक संस्था के रूप में और संसद की संवैधानिक भूमिका इसकी स्थिति के बारे में जानकारी देना है। कार्यक्रम में माननीय सदस्यों को परिचालन तंत्र, संसदीय परंपराओं, प्रथाओं और शिष्टाचार से परिचित कराने पर भी जोर दिया गया है।
और पढ़ें17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए उन्मुखीकरण कार्यक्रम
तेजी से बदलते विश्व में जानकारी और सूचनाएँ प्रदान करके लोक सभा में भाषणों और वाद-विवादों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम अत्यावश्यक है। इसमें केवल एक ही कार्यक्रम नहीं है, अपितु इसके तत्वावधान में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो माननीय संसद सदस्यों के लाभ हेतु विशेष रूप से तैयार किये जाते हैं। 1976 में अपनी स्थापना से ही प्राइड (पूर्ववर्ती बीपीएसटी) ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाता आया है और कार्यक्रमों को बेहतर बनाने तथा उनमें विस्तार करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहा है। इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करने वाले विभिन्न संकाय सदस्यों में प्रख्यात संसद सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय नेता, नोबेल पुरस्कार विजेता, अपने-अपने क्षेत्र के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञ और भारत सरकार, लोक सभा एवं राज्य सभा सचिवालय के उच्च अधिकारीगण शामिल होते हैं । + 17 अगस्त 2005 से ही प्राइड संसद सदस्यों के लाभ हेतु समसामयिक विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यानमाला आयोजित करता रहा है । इस व्याख्यानमाला का मुख्य उद्देश्य संसद सदस्यों को चर्चाधीन विषयों से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में सहायता करना है । ये व्याख्यान समकालीन विषयों से संबंधित होते हैं, जिससे सदस्यों को विभिन्न समस्याओं को अधिक प्रभावी ढंग से समझने में सहायता मिलती है । इस व्याख्यानमाला के तहत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय निकायों सहित विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ अपने विचार साझा किए हैं। इन पहल की सदस्यों द्वारा बहुत सराहना की गई है।
सेमिनार और कार्यशालाएं
प्राइड, विषय की बेहतर समझ को बढ़ावा देने की दृष्टि से संसदीय हित के विभिन्न विषयों पर सांसदों और संसद के अधिकारियों के लिए सेमिनारों और विशेष कार्यशालाओं का आयोजन करता है। राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में सामयिक महत्व के विषयों पर समय-समय पर सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जिससे विधानमंडलों को जटिल राष्ट्रीय और वैश्विक मुद्दों को गहन और व्यापक रूप से समझने में मदद मिल सके। पूर्व में, प्राइड ने विभिन्न विषयों पर सेमिनार/कार्यशालाएं आयोजित की हैं, जैसे "सामाजिक कानून और इसके कार्यान्वयन की समस्याएं" ; "विधानमंडलों और इसके सदस्यों के विशेषाधिकार"; "विधानमंडल और आयोजना", " विधानमंडल के अंदर और बाहर विधायकों की भूमिका और कार्य", "विधानमंडल के प्रति कार्यपालिका का वित्तीय उत्तरदायित्व", इत्यादि ।
वार्षिक स्मारक संसदीय व्याख्यान
एक उत्कृष्ट सांसद, प्रो. हीरेन मुखर्जी, 1952 से 1977 तक लगातार पांच कार्यकाल के लिए लोक सभा के सदस्य रहे । एक प्रसिद्ध इतिहासकार, एक बहुसर्जक लेखक और एक प्रतिभाशाली वक्ता, प्रो. हीरेन मुखर्जी ने राष्ट्र की गंभीर चिंता के अनेक मुद्दों पर अपनी गहरी सोच को भावपूर्ण अभिव्यक्ति देने के लिए सभा को एक प्रभावी संचार माध्यम के रूप में प्रयोग किया । उनकी अनुभूति और परिप्रेक्ष्यों ने ज्ञान और विद्वता की गहराई को प्रतिबिंबित किया जिसमें वे निपुण थे । वह प्राइड के प्रथम अवैतनिक सलाहकार भी थे।
वर्ष 2008 में माननीय लोक सभा अध्यक्ष द्वारा संसद के इतिहास के एक विलक्षण प्रो. हीरेन मुखर्जी स्मृति वार्षिक संसदीय व्याख्यान की संस्थापना की गई है। यह प्रो. हीरेन मुखर्जी को एक विनम्र श्रद्धांजलि थी, जिनका व्यापक दृष्टिकोण और संसदीय लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता प्रत्येक सजग सांसद और नागरिक के लिए प्रेरणादायी रहा है । संसद के केन्द्रीय कक्ष में 11 अगस्त, 2008 को नोबल पुरस्कार विजेता प्रो. अमर्त्य सेन ने "सामाजिक न्याय की मांग " विषय पर उद्घाटन व्याख्यान दिया था ।
"सोशल बिजनेसः एक नई सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की रचना की ओर कदम" विषय पर 9 दिसम्बर, 2009 को नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक के संस्थापक/प्रबंध निदेशक प्रोफेसर मुहम्मद युनुस द्वारा द्वितीय प्रो. हीरेन मुखर्जी स्मृति वार्षिक संसदीय व्याख्यान दिया गया था ।
गोलमेज चर्चाएं
प्राइड द्वारा समय-समय पर संसदीय महत्व के मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए गोलमेज चर्चाओं का आयोजन किया जाता है।4 सितंबर, 2008 और1 नवंबर, 2008 को "संसदीय लोकतंत्र का सशक्तिकरण" विषय पर ऐसी ही दो गोलमेज चर्चाओं का आयोजन किया गया जिनमें सांसदों, विधिवेत्ताओं, शिक्षा शास्त्रियों, मीडिया कर्मियों, उद्योग-घरानों के प्रमुखों, सिविल सोसाइटी कार्यकर्ताओं तथा अन्य ने इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए ।
कम्प्यूटर जागरुकता कार्यक्रम
सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है जिसका प्रभाव संसद के साथ-साथ इसके सदस्यों की भूमिका तथा कार्यों पर भी पड़ा है। संसद सदस्यों का अपने दायित्वों का प्रभावपूर्ण ढंग से निर्वाह करने जैसे निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन कार्यों, कार्यालय आधुनिकीकरण संबंधी क्रियाकलापों, निजी सूचना प्रबंधन, राज्य विधानमंडलों तथा अन्य संगठनों के साथ संवाद और इंटरनेट और ई-मेल आदि का प्रयोग करने में सहायता करने के लिए प्राइड द्वारा कंप्यूटर जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि उनको इस सचिवालय द्वारा प्रदान की गई कम्प्यूटर सुविधाओं का इष्टतम उपयोग करने में सक्षम बनाया जा सके। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) के पेशेवर तथा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अन्य विशेषज्ञ, संसद सदस्यों को कम्प्यूटर कौशल का ज्ञान प्रदान करते हैं। प्राइड के पास इसकी कम्प्यूटर लैब में अत्याधुनिक सुविधाएं हैं जहां पर संसद सदस्यों तथा उनके निजी स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाता है। सरकारी कार्य के प्रभावी निष्पादन के लिए लोक सभा सचिवालय के अधिकारियों एंव कर्मचारियों को भी प्राइड में कम्प्यूटर संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है ।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस
विश्व के साथ-साथ अपने देश में भी जागरूकता उत्पन्न करने और उस बढ़ाने के प्रयास स्वरूप लोक सभा के माननीय अध्यक्ष, श्री ओम बिरला के मार्गदर्शन में प्राइड ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, विकास और शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस, तपेदिक दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम, अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निरोध दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय दिवसों का आयोजन किया । अब तक छह अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाए गए हैं, जिनमें 2000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया ।
भारतीय एवं विदेशी भाषाओं संबंधी कार्यक्रम
लोक सभा के माननीय अध्यक्ष, श्री ओम बिरला द्वारा दिये गए निदेश के अनुपालन में भाषा संबंधी पाठ्यक्रमों की शुरुआत कर प्राइड ने अपने दायरे और क्षमता में एक और आयाम जोड़ा है। प्राइड ने 22 जून 2021 से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के अलावा छह विदेशी भाषाओं यथा फ्रेंच, जर्मन, जापानी, पुर्तगाली, रूसी और स्पेनिश में 30 घंटे का ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया था। भाषा संबंधी कार्यक्रम मुख्य रूप से लोक सभा और राज्य सभा दोनों के माननीय संसद सदस्यों के लिए आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विधायकों और अधिकारियों ने भी इन कार्यक्रमों में भाग लिया था। इन कार्यक्रमों के वेब लिंक को विश्व के सभी देशों में स्थित भारतीय दूतावासों और उच्च आयोगों के साथ भी साझा किया गया था ताकि उनके अधिकारी भी इन ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकें।
हिंदी भाषा के कार्यक्रम
केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के साथ मिलकर देश के गैर-हिंदी भाषी राज्यों से आए माननीय संसद सदस्यों के लिए हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। प्राइड ने गैर-हिंदी भाषी माननीय संसद सदस्यों के लिए चार कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
'भारत मानव विकास रिपोर्ट, 2011 सामाजिक समावेशन की ओर', डॉ. संतोष मेहरोत्रा, महानिदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड मैनपावर रिसर्च, दिल्ली द्वारा
'सार्वजनिक सूचना अवसंरचना और नवाचार के माध्यम से भारत का सशक्तीकरण', श्री सैम पित्रोदा, सार्वजनिक सूचना अवसंरचना और नवाचार से संबंधित प्रधानमंत्री के सलाहकार।
'नियति के साथ साक्षात्कारः स्वतंत्रता के बाद भारतीयों के जीवन में प्रगति' प्रोफेसर सी.आर.राव, प्रसिद्ध प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) और सलाहकार, सीआरआर, एआईएमएससीएस।
'विशेष पहचान परियोजना- मुद्दे और चुनौतियां' श्री नंदन निलेकणी, अध्यक्ष, भारतीय विशेष पहचान प्राधिकरण।
'अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट और भारत पर इसके प्रभाव' डॉ. सी रंगराजन, संसद सदस्य।
'जलवायु परिवर्तन के युग में मानसून प्रबंधन और कृषि में प्रगति' प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन, संसद सदस्य।
'भारत की विदेश नीति: चुनौतियां और अवसर' श्री शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव।
'आतंकवादः मुम्बई और उसके बाद' डॉ. शशि थरूर।
'साहस और उत्साह के साथ नेतृत्व' माननीय थीच न्हाट हान्ह।
'जलवायु परिवर्तनः भारत के लिए समस्या' डॉ. आर.के.पचौरी, अध्यक्ष जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर-सरकारी पेनल और महानिदेशक, टेरी।
'अंतर्राष्ट्रीय सफाई वर्ष के संदर्भ में जल एवं सफाई' सुश्री लिजेट बर्गर्स, बाल परिवेश कार्यक्रम, यूनीसेफ की अध्यक्ष और श्री कुमार आलोक, वरिष्ठ सफाई विशेषज्ञ।
'वैश्विक विवेक और शांति हेतु मानवाधिकार' माननीय डगलस रोके, अध्यक्ष, मिडल पावर्स इनिशिएटिव।
'संसद को उत्तरदायी कैसे बनाएं?' श्री कुलदीप नायर।
'कृषि संकटः विगत दशक के दौरान एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या क्यों की?' श्री पी. साईनाथ, ग्रामीण संपादक, दि हिन्दु।
'भारतीय एकता की भावना और स्वरूपःस्वतंत्रता संघर्ष की वर्तमान के लिए सीख' प्रो. सुगाता बोस, इतिहास के गार्डिनर प्रोफेसर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, यूएसए।
'बाल अधिकारों की प्रगति में सांसदों की भूमिका' श्रीमती मार्ता संतोस पैस, डायरेक्टर, इन्नोसेन्ती रिसर्च सेटर, फ्लोरेंस, इटली द्वारा
'भारतीय कृषि में संकट' प्रो. एम.एस.स्वामीनाथन, संसद सदस्य।
'1857 के विद्रोह के परिप्रेक्ष्य' प्रो. इरफान हबीब, इतिहास विभाग के अध्यक्ष(सेवानिवृत्त), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय।
'राष्ट्रीय ज्ञान आयोग' श्री सैम पित्रोदा, अध्यक्ष राष्ट्रीय ज्ञान आयोग।
'वैश्वीकरण और लोकतंत्र' लॉर्ड मेघनाद देसाई, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स।
'जल संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे' डॉ. के. कस्तूरीरंगन, संसद सदस्य।
'उत्तर-पूर्वी भारत का पुनरूत्थान' श्री बी.जी.वर्गीज।
'भूजल का कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन' डॉ. डी.के.दत्त, पूर्व-अध्यक्ष, केन्द्रीय भूजल बोर्ड।
'सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भारत के समक्ष चुनौतियां' प्रो. जेफरी डी. सैश, डायरेक्टर, अर्थ इंस्टीटय़ूट, कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयार्क, यूएसए।
'बालिका अधिकारों से संबंधित मुद्दे' सुश्री रजिया सुल्तान इस्माईल अब्बासी, सह-संयोजन इंडिया एलायंस फॉर चाइल्ड राइट्स।
श्रीमती उर्मी चक्रवर्ती द्वारा 'जल' शीर्षक वृत्तचित्र का प्रदर्शन
'ग्रामीण विकास के औजार के रूप में सूचना का अधिकार' सुश्री अरुणा रॉय, मजदूर किसान शक्ति संगठन।
'बाल विकासःभारत के समक्ष चुनौतियां' सुश्री एन्न वेनेमैन, एक्जिक्युटिव डायरेक्टर, यूनीसेफ।
'प्रभावी जल संरक्ष्ण तकनीक-जमीनी स्तर का अनुभव' श्री राजेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, तरूण भारत संघ।
'मूल्य संवर्धित कर प्रणाली की आवश्यकता' डॉ. पार्थसारथी शोम, केन्द्रीय वित्त मंत्री के सलाहकार।
'जल संरक्षण' श्रीमती सुनीता नारायण, निदेशक, सीएसई।