समाचार कतरन सेवा

समाचार कतरन सेवा 1956 में साधारण स्तर पर शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य संसद सदस्यों और अन्य लोगों से प्राप्त सामयिक विषयों संबंधी संदर्भों का शीघ्र निपटान करना था। यह सेवा सभी महत्वपूर्ण, संगत और अद्यतन समाचार की मदों, सम्पादकीय टिप्पणियों और विधायी, राजनीतिक, आर्थिक,सामाजिक-सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और प्रोद्योगिकी क्षेत्रों में विकास संबंधी लेखों को एकत्र करती है। यह कतरनें देश के विभिन्न भागों से प्रकाशित 11 हिन्दी और 18 अँग्रेजी के समाचार पत्रों से ली जाती हैं। हिन्दी समाचार पत्र हैं;- बिजनस स्टैंडर्ड, दैनिक जागरण, इकोनोमिक टाइम्स, हिंदुस्तान, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा (सभी दिल्ली से), आज (वाराणसी), लोकमत समाचार (नागपुर), पंजाब केसरी (पानीपत), राजस्थान पत्रिका (जयपुर)। अँग्रेजी के समाचार पत्रों में शामिल हैं;- एशियन एज, बिजनस स्टैंडर्ड, इकोनोमिक टाइम्स, फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस, हिन्दू बिजनस लाइन, हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस,पाइनियर, स्टेट्समैन, दि हिन्दू, टाइम्स ऑफ इंडिया, ट्रिब्यून (सभी दिल्ली से), असम ट्रिब्यून (गुवाहाटी), डेक्कन हेराल्ड (बैंगलोर), फ्री प्रैस जर्नल (मुंबई), कश्मीर टाइम्स (जम्मू), टेलीग्राफ (कोलकाता), दि हिन्दू (चेन्नई)। समाचार कतरनों का संसद सदस्यों, शोध एवं संदर्भ स्टॉफ और साथ ही लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय दोनों की विभिन्न शाखाओं, ग्रंथालय का दौरा करने वाले शोधार्थियों और प्रत्यायित समाचार संवादाताओं द्वारा सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। वर्ष 2017 से समाचार कतरन सेवा का पूर्णतः कंप्यूटरीकरण कर दिया गया है। चयनित की गई प्रत्येक चयनित खबर की पीडीएफ फाइलों को एनआईसी द्वारा विकसित विशेष रूप से तैयार किए गए सॉफ्टवेयर पर तैयार और अपलोड किया जाता है। इन समाचार कतरनों का संसदीय शोध परिसर में स्थापित स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क पर संबद्ध कंप्यूटरों से संसद ग्रंथालय मुख्यपृष्ठ के माध्यम से विषय-वार ,दिनांक-वार ,समाचार पत्र-वार, और वर्गीकरण संख्या-वार तक अवलोकन किया जा सकता है औ उन्हें पुनः प्राप्त किया जा सकता है। वर्ष 2017 से पूर्व की समाचार कतरनों को, कालानुक्रमिक रूप से विषय फ़ोल्डरों में रखा जाता है और ड्यूवी दशमलव वर्गीकरण प्रणाली पर आधारित विशेष रूप से तैयार वर्गीकरण योजना के अनुसार एक उचित क्रम मेंसंचित करके रखा जाता। इन फ़ोल्डरों को बाहर ले जाने के लिए जारी नहीं किया जाता है, लेकिन इनका संसद ग्रंथालय और समाचार कतरन अनुभाग के वाचनालय में बैठकर परामर्श किया जा सकता है। समाचार कतरनों को पांच साल तक रखा जाता है। हालांकि, अभिलेखीय मूल्य की महत्वपूर्ण कतरनों और संवैधानिक, संसदीय और विधायी विकास को प्रभावित करने वाली कतरनों को स्थायी रूप से रखा जाता है।