लोक सभा सचिवालय द्वारा सभा की कार्यवाही का आधिकारिक वृत्तान्त अर्थात् लोक सभा वाद-विवाद अध्यक्ष के प्राधिकार के अंतर्गत तैयार किया जाता है। लोक सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालय नियम के नियम 379 और नियम 382 के अनुसार सभा की प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का पूरा वृत्तान्त यथाशीघ्र ऐसे रूप में तथा ऐसी रीति से प्रकाशित, मुद्रित और वितरित किया जाएगा जैसा कि अध्यक्ष समय-समय पर निदेश दें।
लोक सभा वाद-विवाद के तीन संस्करण तैयार किए जाते हैं, अर्थात् हिन्दी संस्करण, अंग्रेजी संस्करण और मूल संस्करण। तीनों संस्करणों में से केवल दो संस्करण अर्थात् हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण ही मुद्रित किए जाते हैं और संसद सदस्यों और अन्य लोगों को इनका वितरण किया जाता है। मूल संस्करण की भली-भाँति जिल्द चढ़ाकर केवल अभिलेख और संदर्भ के लिए संसदीय ग्रंथालय में रखा जाता है। मूल संस्करण में सभा में वस्तुत: अंग्रेजी और हिन्दी में हुई कार्यवाही का वृत्तान्त होगा। इसमें क्षेत्रीय भाषाओं में दिए गए भाषणों का अंग्रेजी/हिन्दी अनुवाद भी होगा। हिन्दी संस्करण में हिन्दी में पूछे गए सभी प्रश्न तथा हिन्दी में दिए गए उनके उत्तर और हिन्दी में दिए भाषण मूल रूप में होते हैं एवं अंग्रेजी में पूछे गए सभी प्रश्नों तथा अंग्रेजी में दिए गए उनके उत्तरों और अंग्रेजी अथवा किसी क्षेत्रीय भाषा में दिए गए भाषणों आदि का हिन्दी में शब्दश: अनुवाद प्रकाशित होगा। प्रश्नों पर उर्दू में पूछे गए अनुपूरक प्रश्न अथवा उर्दू में किए गए भाषण वाद-विवाद के हिन्दी संस्करण में देवनागरी लिपि में प्रकाशित किए जाएंगे। अंग्रेजी संस्करण में अंग्रेजी में लोक सभा की कार्यवाही का वृत्तान्त और हिन्दी अथवा किसी भी क्षेत्रीय भाषा में हुई कार्यवाही का अंग्रेजी अनुवाद होगा।
और पढ़ेंलोक सभा वाद-विवादों का मूल संस्करण अर्थात् शब्दश: वृत्तान्त लोक सभा की वेबसाइट पर 'असंशोधित वाद-विवाद' और 'अंतिम संपादित वाद-विवाद' शीर्षक के अंतर्गत उपलब्ध है। संसद सदस्यों, मीडिया कार्मिकों, शोधकर्ताओं और आम जनता के प्रयोग के लिए असंशोधित वाद-विवाद अगले दिन मुख्य पृष्ठ (होमपेज) पर जारी कर दिए जाते हैं। संशोधित भाषण अर्थात् संपादित वाद-विवाद भी संसद सदस्यों द्वारा संशोधन के पश्चात् मुख्य पृष्ठ पर 'अंतिम संपादित वाद-विवाद' शीर्षक के अंतर्गत जारी कर दिए जाते हैं। संपादित वाद-विवाद को जारी करने में सामान्यंत: 10-15 दिन लग जाते हैं। इन वाद-विवादों को विभिन्नप खोज श्रेणियों अर्थात् सदस्य -वार, विषय-वार, सत्र/तारीख-वार, वाद-विवाद का प्रकार आदि की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। इन वाद-विवादों को विभिन्ना खोज श्रेणियों अर्थात् सदस्य +विषय+सत्र आदि के संयोजन से भी प्राप्तं किया जा सकता है।
और पढ़ेंसंविधान के अनुच्छेद 120 के अन्तर्गत सभा का कार्य हिन्दी या अंग्रेजी में किया जाता है, परन्तु जो सदस्य इन दोनों भाषाओं में से किसी भी भाषा में अपने विचारों को अच्छी तरह व्यक्त न कर सके, वह अध्यक्ष की अनुमति से संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओं या अपनी मातृभाषा में भाषण दे सकता है। ऐसे सदस्य को, सभा में अपना स्थान ग्रहण करने के तत्काल बाद इस बारे में अध्यक्ष को लिखित सूचना देनी चाहिए। ऐसे प्रत्येक अवसर पर सभा में भाषण देने के कम से कम आधा घंटा पूर्व उसे इस आशय की सूचना पटल अधिकारी या संसदीय सूचना कार्यालय को दे देनी चाहिए कि उसका विचार कार्य की अमुक-अमुक मद पर अमुक-अमुक भाषा में भाषण देने का है। ऐसी सूचना प्राप्त होने पर यदि सदस्य द्वारा बताई गई भाषा आगे उल्लिखित भाषाओं में से कोई एक भाषा होगी अर्थात् (एक) कन्नड़; (दो) मणिपुरी; (तीन) मराठी; (चार) उड़िया; (पाँच) तमिल; (छह) तेलुगु; (सात) पंजाबी; (आठ) संस्कृत; तथा (नौ) उर्दू तो अंग्रेजी और हिन्दी में उसका साथ-साथ अनुवाद करने की व्यवस्था की जाएगी।
और पढ़ेंसदस्यों द्वारा किसी दिन दिए गए प्रत्येक भाषण अथवा उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों और उनके दिए गए उत्तरों की एक-एक कम्प्यूटरीकृत प्रति उनको अगले दिन प्रात: पुष्टि के लिए और कार्यवाही का विवरण तैयार करते समय हो गई गलतियों, यदि कोई हों, में शुद्धि करने के लिए भेज दी जाती है। व्याकरण की अशुद्धियों, गलत लिखे गए उद्धरणों, आँकड़ों, नामों आदि से संबंधित केवल मामूली गलतियों की शुद्धि को ही स्वीकार किया जाता है। साहित्यिक स्वरूप में सुधार करने अथवा कुछ जोड़कर तथ्य में परिवर्तन अधिक रद्दोबदल अथवा कुछ निकाल देने की अनुमति नहीं होगी। सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे शुद्धियाँ करने के बाद अपनी प्रति को अगले दिन 15.00 बजे तक लौटा दें। सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे समय-सीमा का कड़ाई से पालन करें क्योंकि कार्यवाही का संपादित शब्दश: वृत्तान्त इंटरनेट पर जाता है, जो कि समयबद्ध कार्यक्रम है।
और पढ़ेंलोक सभा वाद-विवाद तथा अन्य सहायक प्रकाशनों का प्रतिलिप्याधिकार, प्रतिलिप्याधिकार अधिनियम (1975 की संख्या 14) की धारा 2(ट) के अधीन लोक सभा सचिवालय को प्राप्त है। यदि कोई सदस्य लोक सभा वाद-विवाद अथवा इसमें अपने भाषणों से भी किसी सामग्री को उद्धृत करना चाहता है तो उसे उद्धृत की जाने वाली सामग्री का विशिष्ट ब्यौरा देते हुए माननीय अध्यक्ष महोदय से औपचारिक अनुमति लेनी होगी। संपादन शाखा प्रतिलिप्याधिकार संबंधी मामलों की जाँच करता है।
और पढ़ेंवाद-विवाद का सारांश वाद-विवाद के दौरान दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों और उठाए गए मुद्दों का सारांश है। किए गए तर्क-वितर्कों, प्रस्तावों या किए गए संशोधनों, सभा पटल पर रखे गए पत्रों और अन्य औपचारिक मदों में इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता। यह लोक सभा वाद-विवादों की कार्यवाही का प्राधिकृत रिकॉर्ड नहीं है। कार्यवाही के प्राधिकृत पूरे रिकॉर्ड के लिए कार्यवाही के आधिकारिक रिकॉर्ड (संपादित वाद-विवाद) देखा जा सकता है।
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